हेलो दोस्तों, आज के इस ब्लॉग(HDLC Protocol In Hindi) में मै आपको HDLC (High level data link control) डाटा लिंक प्रोटोकॉल के बारे में बताने जा रहा हूँ | HDLC सबसे महत्वपूर्ण डाटा लिंक प्रोटोकॉल है । यह एक बिट ओरिएंटेड(bit oriented) प्रोटोकॉल है, जो कि हाफ-डुप्लेक्स(half-duplex) एंड फुल-डुप्लेक्स(Full-duplex) दोनों तरह के कम्युनिकेशन को सपोर्ट करता है |
इसके बिट ओरिएंटेड होने का मतलब यह है कि यह फ्रेम को व डाटा फ्रेम को bit stream की तरह देखता है | इसको इस तरह भी समझा जा सकता है कि यह HDLC प्रोटोकॉल(HDLC Protocol In Hindi) बाइट वैल्यूज को identify और इन्टरप्रेट ही नहीं करता जो कि और प्रोटोकॉल कर सकते है जैसे कि, X-ON / X-OFF ये इसे द्वारा डिफाइंड किये गए है | HDLC को वर्ल्ड वाइड use किया जाता है |
ऍप्लिकेशन्स कि बहुत सारी वैरायटी को satisfy करने के लिए HDLC(HDLC Protocol In Hindi) ने तीन तरह के स्टेशन डिफाइन किये है, दो Link configuration और तीन data transfer modes of operation डिफाइन किये है |
तीन तरह के स्टेशन टाइप्स(Stations Type in HDLC) निम्नलिखित है|
प्राइमरी स्टेशन(Primary Station): यह लिंक ऑपरेशन को कण्ट्रोल करने के लिए रेस्पोंसिबल होता है | प्राइमरी स्टेशन द्वारा निकाले गए फ्रेम्स को कमांड कहा जाता है |
सेकेंडरी स्टेशन(secondary Station) : यह परिमारी स्टेशन के अंतर्गत ऑपरेट होता है | सेकेंडरी स्टेशन के द्वारा निकाले गए फ्रेम्स को रिस्पांस कहते है | प्राइमरी स्टेशन प्रत्येक सेकेंडरी स्टेशन के साथ जो कि लाइन पर है, एक सेपरेट लॉजिकल लिंक मेन्टेन करता है |
कंबाइंड स्टेशन(Combined Station): इस स्टेशन में प्राइमरी और सेकेंडरी दोनों के गुण होते है, यह कंबाइंड स्टेशन कमांड एंड रिस्पांस दोनों issue कर सकता है |
दो Link Configuration in HDLC निम्नलिखित है :
Unbalanced Configuration: इसमें एक प्राइमरी और एक या एक से अधिक सेकेंडरी stations हो सकते है , और यह फुल डुप्लेक्स एंड हाफ-डुप्लेक्स दोनों ट्रांसमिशन को सपोर्ट करता है |
Balanced Configuration: इसमें दो कंबाइंड stations का कॉम्बिनेशन रहता है, और यह फुल डुप्लेक्स एंड हाफ डुप्लेक्स दोनों ट्रांसमिशन मोड को सपोर्ट करता है |
तीन डाटा ट्रांसफर मोड(Data Transfer Modes in HDLC) निम्नलिखित है |
नार्मल रिस्पांस मोड, (Normal Response Mode – NRM): इसे unbalanced configuration में यूज किया जाता है | इसमें एक प्राइमरी स्टेशन सेकेंडरी स्टेशन को डाटा भेज सकता है, पर सेकेंडरी स्टेशन केबल प्राइमरी स्टेशन द्वारा किये गए कमांड का रिस्पांस कर सकता है, वह अपनी तरफ से पहले डाटा भेजने कि पहल नहीं कर सकता है |
Asynchronous Balanced Mode(ABM): इसे बैलेंस्ड कॉन्फ़िगरेशन में यूज किया जाता है | इसमें सेकेंडरी स्टेशन प्राइमरी स्टेशन की बिना स्पष्ट परमिशन के डाटा ट्रांसमिट कर सकता है |
Asynchronous Response Mode(ARM) : इसे unbalanced कॉन्फ़िगरेशन में यूज किया जाता है | इसमें सेकेंडरी स्टेशन बिना प्राइमरी की स्पष्ट परमिशन के डाटा ट्रांसमिट कर सकता है| लेकिन फिर भी ट्रांसमिशन लाइन की पूरी जिम्मेदारी, जैसे कि initialization , एरर रिकवरी, और लॉजिकल डिसकनेक्शन प्राइमरी चैनल के पास रहती है |
NRM का यूज मल्टीड्रोप लाइन्स में होता है, जिसमे बहुत सारे टर्मिनल्स एक होस्ट कंप्यूटर से जुड़े होते है| कंप्यूटर सभी टर्मिनल को इनपुट के लिए poll करता है| NRM का उपयोग कभी कभी पॉइंट तो पॉइंट लिंक में भी होता है | खासतौर पर तब जब या तो कोई लिंक टर्मिनल से कनेक्ट होती है या फिर कोई पेरीफेरल कंप्यूटर से कनेक्ट होता है|
इन तीन मोड्स के लिए ABM का सबसे ज्यादा उपयोग होता है | यह फुल डुप्लेक्स पॉइंट तो पॉइंट लिंक का बेहतर उपयोग कर पता है क्योकि इसमें पोलिंग का कोई ओवरहेड नहीं होता| ARM को उपयोग बहुत ही काम होता है | यह कुछ ऐसे स्पेशल सिचुएशन में यूज होता है, जहां पर सेकेंडरी स्टेशन को ट्रांसमिशन को पहले चालू करने कि जरुरत पड़ जाती है |
फ्रेम स्ट्रक्चर(Frame Structure): HDLC सिंक्रोनस ट्रांसमिशन का उपयोग करता है | सभी ट्रांसमिशन फ्रेम्स के रूप में होते है | और एक सिंगल फ्रेम पर्याप्त होता है सभी तरह के डाटा और कण्ट्रोल एक्सचैंजेस के लिए| नीचे दिए गए चित्र में HDLC फ्रेम के स्ट्रक्चर को ढिकया गया है |
इसमें फ्लैग, एड्रेस, और कण्ट्रोल फील्ड जो कि जानकारी को ले जाते है उन्हें हम हैडर कहते है | और FCS और फ्लैग फील्ड जो कि डाटा फील्ड के बाद में होती है उसे हम ट्रेलर कहते है |
HDLC(HDLC Protocol In Hindi) ऑपरेशन में निम्नलिखित तीन फेज होते है |
Within the HDLC operation, इसमें कोई भी एक साइड से डाटा लिंक को इनिशियलाइज़(initialize) किया जाता है जिससे कि फ्रेम्स(Frames) प्रॉपर तरीके से एक्सचेंज हो सके| इस फेज में वो सभी विकल्प पर सहमति जताई जाती है जो कि ट्रांसमिशन में यूज होने वाले होते है |
इसके बाद दोनों साइड से डाटा का आदान प्रदान होता है और उनके कण्ट्रोल इनफार्मेशन का भी जिससे एरर कण्ट्रोल और फ्लो कण्ट्रोल को देखा जाता है |
और सबसे आखिरी में कोई भी एक साइड से इस ऑपरेशन को terminate कर दिया जाता है |
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