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SEBI NEW MARGIN RULES IN HINDI.

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हेलो दोस्तों आज के इस ब्लॉग पोस्ट(SEBI NEW MARGIN RULES IN HINDI) में शेयर मार्किट से जुड़े कुछ updates के बारे में बताने वाला हूँ जो कि SEBI द्वारा अपडेट किये गए है |

Stock market और share market investment करने और पैसे कमाने के हिसाब से आज के दौर का बहुत ही प्रचलित माध्यम है|SEBI NEW MARGIN RULES IN HINDI|

यहाँ पर बहुत सारे तरीको से अपना पैसा companies के शेयर्स में इन्वेस्ट कर सकते है और शेयर का प्राइस पढ़ने के साथ ही उससे प्रॉफिट कमा सकते है |SEBI NEW MARGIN RULES IN HINDI|

अगर आप अभी भी share market के बारे में कुछ भी नहीं जानते तो आप निचे दिए हुए ब्लॉग को पढ़ कर शेयर मार्किट के बारे जान सकते है|SEBI NEW MARGIN RULES IN HINDI|

और समझ सकते है कि share market से कैसे पैसा बनाया जा सकता है |SEBI NEW MARGIN RULES IN HINDI|

और इसके बाद आप इस ब्लॉग पोस्ट(SEBI NEW MARGIN RULES IN HINDI) को और अच्छे से समझ पाएंगे |

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अभी फिलहाल में ही SEBI ने share market अथवा trading के कुछ मार्जिन रूल्स(SEBI NEW MARGIN RULES IN HINDI) में बदलाव किये है|

और यह बदलाव क्लाइंट और इन्वेस्टर के पैसे कि सेफ्टी को ध्यान में रखकर किये गए है |

इस पोस्ट(SEBI NEW MARGIN RULES IN HINDI) के अंदर यहाँ पर कुछ points है|

जिनमे updation SEBI द्वारा किया गया है उसे discuss करेंगे, वे पॉइंट्स निम्नलिखित है |

SEBI new margin rules in Hindi :

तो दोस्तों ऊपर दिए हुए कुछ rules जिनमे सेबी द्वारा कुछ updation(SEBI NEW MARGIN RULES IN HINDI) किया गया है |

वैसे तो कुछ updation आपको बहुत ही senseless लग सकते है पर जब आप इन changes को deep में जाकर के समझोगे तब…

…शायद आपको समझ में आ जायेगा कि SEBI ने आपके पैसे की सुरक्षा के लिए ही ये सब नियम में बदलाव कर इसे थोड़ा चेंज किया है |

इन रूल्स(SEBI NEW MARGIN RULES IN HINDI) के हिसाब से आप अपने शेयर्स को ज्यादा सुरक्षित समझेंगे|

और आपके शेयर्स पर आपका पूरा कण्ट्रोल रहेगा चाहे आप उसके लिए मार्जिन ही क्यों न ले |

हाँ फिर भी शायद कुछ रूल्स लोगो को अच्छे न लगे जैसे कि अपने ही ख़रीदे शेयर्स बेचने के लिए 20 % मार्जिन को अपने देमत Account में maintain करना |

पर दोस्तों इसके पीछे भी SEBI ने कुछ सोचा होगा और इसे आपके हित में बनाने के लिए किया होगा |

तो फिर चलिए आगे इस ब्लॉग में एक एक कर सारे पॉइंट्स को डिटेल में समझते है |

लिवरेज में कमी : Cost-cutting in leverage margin

तो दोस्तों इस पोस्ट(SEBI new margin rules in Hindi) के अंतर्गत लिवरेज में कमी को समझने के पहले आप लिवरेज को समझ लीजिये कि लिवरेज आखिर है क्या?

तो दोस्तों अभी तक क्या होता था कि अगर आपके पास अगर demat अकाउंट में 100 रुपया है तो भी आप उससे 2000 और 5000 के शेयर खरीद सकते थे|

यानि कि आप अपने पास मौजूद पैसे से 10 , 20 , 50 गुना पैसे तक के शेयर खरीद सकते थे और आपका ब्रोकर आपको यह लिवरेज प्रोवाइड करवाता था |

पर अब सेबी के नए रूल्स के according आप सिर्फ पांच गुना तक का लिवरेज ले सकते है |

यानि कि अगर आपके पास 100 रुपया है तो आप सिर्फ उससे 500 रूपीस तक के शेयर्स खरीद सकते है |

तो दोस्तों पहले ब्रोकर्स कई गुना तक का लिवरेज प्रोवाइड करवा देते थे पर अब यह रूल चेंज होने से ट्रेडर का बहुत ही नुक्सान होता प्रतीत हो रहा है |

क्योकि पहले कम पैसे में ज्यादा शेयर्स ख़रीदे जा सकते थे |

पर क्या आप जानना चाहते है कि सेबी ने ऐसा क्यों किया और इसके पीछे कि स्टोरी क्या है, सेबी को ऐसा निर्णय क्यों लेना पड़ा?

अभी कुछ समय पहले की बात है karvy stock broker डूब गया और उसमे बहुत सारे निवेशको का पैसा भी डूब गया |

और इसी इंसिडेंट के बाद SEBI को यह रूल बनाने के लिए मजबूर होना पड़ा जिससे कि निवेशकों के पैसे की सुरक्षा की जा सके |

हो सकता है आप में से बहुत से लोग इस घटना को जानते हो |

पर अब आप सोच रहे होंगे की ऐसा आखिर हुआ कैसे ? तो चलिए उसे समझने से पहले आप margin को समझ लीजिये |

मार्जिन दो प्रकार का होता है |

Stock मार्जिन और Pool Account मार्जिन

stock margin :

यह मार्जिन स्टॉक एक्सचेंज द्वारा decide होता है और यह stock की volatility पर देपेंद करता है |

अगर stock कम volatile है मतलब की स्टॉक की वैल्यू ऊपर नीचे कम होती है तो यहाँ पर मार्जिन कम होता है या कम मार्जिन की जरुरत कम होती है और leverage ज्यादा मिल जाता है |

और अगर स्टॉक की volatility ज्यादा होती है तो फिर यहाँ पर मार्जिन की रेक्विरेमेंट ज्यादा होती है और लिवरेज कम मिलता है |

एक्साम्प्ले के लिए अगर किसी कंपनी सीज़ के शेयर प्राइस 100 रुपया है और उसके मार्जिन की वैल्यू 20 रुपया राखी गयी है|

तो फिर यहाँ पर आपको उस कंपनी के एक शेयर जो कि 100 रुपया का है को खरीदने के लिए 20 रुपया का मार्जिन रखना जरुरी होगा|

पूल अकाउंट: Pool Account Margin

यह अकाउंट stock broker का अकाउंट होता है और वह आपको कई गुना तक लिवरेज दे सकता था|

पर यहाँ पर होता यह था कि अगर कोई लिवरेज नहीं लेता था तो ब्रोकर उस लिवरेज को किसी और क्लाइंट को दे देते थे|

और नुक्सान होने कि स्थिति में उस क्लाइंट का पैसा भी रिस्क में लग जाता था जिसने लिवरेज का उपयोग तक नहीं किया |

karvy Stock broker के डूब जाने का कुछ यही कारण था | चलिए इसे थोड़ा और डिटेल में समझते है |

दूसरा क्लाइंट 20 % का मार्जिन देता है और इसी कंपनी के एक शेयर को खरीद लेता है |

अब यहाँ पर ब्रोकर के पास 120 रुपया हो जाते है और उसे एक्सचेंज को दो शेयर के एक्सचेंज के लिए 40 rupees pay करना है |

तो यहाँ पर ब्रोकर दूसरे क्लाइंट से यह बोल सकता है कि आप मुझे 1 रुपया का मार्जिन और दे दो और हम आपको 19 rupees दे देते है और आप एक शेयर और खरीद लो |

और बाद में ब्रोकर exchange को 20 रुपया पहले क्लाइंट के लिए, 20 रूपीस दूसरे क्लाइंट के लिए और 20 rupees तीसरे क्लाइंट के लिए pay करता है|

और इसके बाद भी ब्रोकर के पास 111 rupees बचते है जिन्हे वो other क्लाइंट के मार्जिन के लिए use कर सकता है |

तो यहाँ पर ब्रोकर ने पहले क्लाइंट जिसने शेयर खरीदने के लिए पूरे पैसे 100 रूपीस pay किये, का पैसा दूसरे क्लाइंट को मार्जिन देने के लिए उपयोग किया है |

मतलब जो क्लाइंट मार्जिन नहीं लेते है उनके पैसो को ब्रोकर दूसरे क्लाइंट को मार्जिन दे कर रिस्क पर लगा देते है |

यहाँ पर समझने वाली बात यह है कि आखिर ब्रोकर ऐसा क्यों करता है |

तो हम आपको बता दे कि ब्रोकर के पास जितने ज्यादा क्लाइंट अथवा traders होंगे उतना ही उसे हर क्लाइंट का ब्रोकरेज चार्ज मिलेगा |

तो अगर इस केस में ब्रोकर केबल पहला क्लाइंट रखता तो उसे केवल उसी का ब्रोकरेज चार्ज मिलता |

इस रूल के आने से पहले हर ब्रोकर क्लाइंट्स और ट्रेडर्स को अपनी ओर खींचने में लगा हुआ था और ज्यादा से ज्यादा leverage प्रोवाइड करवा रहा था |

और इससे हो ये रहा था सभी ब्रोकर्स अपने क्लाइंट्स को बेसुमार लिवरेज प्रोवाइड करवा रहे थे और अपना क्लाइंट बना रहे थे |

और यह लिवरेज ब्रोकर्स उन क्लाइंट्स के एकाउंट्स से ही मैनेज कर रहे थे जो कि मार्जिन का उपयोग नहीं करते थे |

और अगर आपको 100 रूपीस का एक शेयर खरीदना है तो आप उसे सिर्फ 1 रूपीस के मार्जिन के साथ भी किसी न किसी ब्रोकर के साथ आराम से खरीद सकते थे |

और यहाँ पर 1 रुपया आप देते थे और 99 रूपीस ब्रोकर pay करता था और यह पैसा भी वो उन क्लाइंट से निकालता था जो कि अपने मार्जिन का उपयोग नहीं करते थे |

और ऐसे में होता यह था कि अगर प्रॉफिट हुआ तो ठीक है यहाँ आपको आपके 1 रुपया का 2 रुपया मिल जाता था पर अगर loss होता था|

तो यहाँ पर broker पर बहुत burden आ जाता था क्योकि उसे एक बड़ी रकम चुकानी पड़ जाती थी |

और जब यह amount बहुत बड़ा हो जाता था तो फिर यह ब्रोकर के बस से बाहर चला जाता था|

और ब्रोकर टूट जाता था और उसके साथ सभी इन्वेस्टर का पैसा भी डूब जाता था |

यही कुछ Karvy stock borker के साथ हुआ था , यहाँ पर उसने अपने क्लाइंट के पैसे का misuse करके बहुत जगह पैसा लगा दिया और बहुत सारा मार्जिन बाँट दिया|

और बाद में loss हो जाने से वह डूब गया और सभी इन्वेस्टर का पैसा भी डूब गया, उनका भी जिन्होंने कभी मार्जिन का उपयोग तक नहीं किया है |

Exchange direct control over pledged Share :

अब से पहले इंट्राडे ट्रेडिंग में यह होता था कि क्लाइंट दो तररह से मार्जिन ले सकते थे |

एक तो वो जितना मार्जिन एक्सचेंज ने निर्धारित किया है उसका भुगतान करके शेयर ले सकते थे |

और दूसरा यह है कि अगर आप के पास पहले से कोई शेयर होल्ड में रखे है तो आप उन्हें भी pledged करके मार्जिन ले सकते थे |

और आपके यह pledged शेयर ब्रोकर के पास पूल अकाउंट में गिरवी हो जाते थे |

और ब्रोकर इस प्लेज्ड मार्जिन की रकम से बहुत सारे क्लाइंट्स को मार्जिन प्रोवाइड करवा देता था |

पर यहाँ पर दिक्कत यह थी कि अगर कोई बड़ा क्लाइंट करोड़ो का डिफाल्टर हो जाता तो यह सब ब्रोकर को bear करना पड़ता था|

और ऐसे में अगर ब्रोकर इस रकम को चुकाने की कंडीशन में नहीं है तो वह डूब जाता था|

और जितने भी क्लाइंट का अकाउंट उस ब्रोकर के पास होता था वो सारे क्लाइंट डूब जाते थे |

इसलिए इस प्रॉब्लम को solve करने के लिए SEBI ने एक नया नियम बनाया है|

और इस नियम के अंतर्गत अब प्लेज्ड शेयर clearing exchange के पास गिरवी होंगे और अब अगर कोई क्लाइंट डिफाल्टर होता है|

तो इसका असर ब्रोकर पर नहीं पड़ेगा और इससे सिर्फ उस क्लाइंट का नुक्सान होगा जिसने डिफ़ॉल्ट किया है |

SEBI का यह नियम क्लाइंट और ब्रोकर दोनों के हित में है |

सोमवार को ख़रीदे गए शेयर T +2 सेटलमेंट टाइम के बाद यानि गुरुवार को बेंचे जायेंगे:

सेबी के इस नियम के अनुसार अगर आप कोई शेयर सोमवार को खरीदते है|

और तब इस शेयर का सेटलमेंट बुधवार शाम तक आपके अकाउंट में आ पता है और आप इसे गुरुवार को ही sell कर सकते है |

सुनने में ये नियम थोड़ा अजीब लगता है न, पर आप चिंता मत करिये brokers ने इसका कुछ solution निकाल लिया है |

मान लीजिये आप एक कंपनी abc के शेयर सोमवार को 100 रुपया में खरीदते है वो भी बिना किसी मार्जिन के जो कि 20 % exchange कि तरफ से decide किया गया है |

और अब आप इस शेयर को मंगलवार को बेचना चाहते है |

चूकि आपको इस शेयर को खरीदने का मार्जिन 20 % लगता है जो कि होता है 20 रुपया तो यहाँ पर ब्रोकर के पास 80 रुपया फिर भी बच जाता है |

और अगर आप खरीदना और बेचना दोनों करते है तो दोनों का मार्जिन अलग अलग लगेगा जो कि होगा 20 +20 यानि 40 रुपया और अब भी ब्रोकर के पास 60 रुपया बचते है |

पर अब आप अपने शेयर monday को खरीद कर tuesday को sell कर सकते है बिना T +2 सेटलमेंट टाइम का wait किये हुए |

और T +2 सेटलमेंट टाइम पूरा होने पर broker अपने पूल अकाउंट में यह ट्रांसक्शन अपडेट कर देता है |

इंट्राडे प्रॉफिट को same डे use नहीं कर पाएंगे :

मान लीजिये आपने इंट्राडे ट्रेडिंग में 10000 के शेयर ख़रीदे और उन्हें कुछ घंटो के बाद 1000 के प्रॉफिट के साथ बेच दिया तो यहाँ पर आपको 10000 रुपया जो कि आपके ही है वो तुरंत मिल जाते है|

पर आपने जो प्रॉफिट बनाया है 1000 रुपया का वो आपको T +2 सेटलमेंट टाइम के बाद ही मिलेगा| यानि कि अब आप Intraday profit का तुरंत use नहीं कर पाएंगे |

यह Rule शायद Intraday traders को कुछ खास अच्छा न लगा हो, पर लॉन्ग टाइम इन्वेस्टर्स को इससे कुछ ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है |

शेयर बेचने के लिए 20 % cash की जरुरत:

SEBI का यह नियम थोड़ा सा कंट्रोवर्सी क्रिएट करने वाला है और इसने traders और swing trading में हड़कंप मचा दिया है |

क्योकि अब से कोई भी शेयर बेचने के लिए उन्हें अपने demat account में 20 % margin रखने कि जरुरत होगी | यह नियम थोड़ा परेशान करने वाला जरूर है |

पर ऐसा इस लिए है क्योकि जब आप शेयर खरीदते या फिर बेचते हो तो आप सीधा exchange से संपर्क में रहते हो ब्रोकर सिर्फ यहाँ intermediate कि भूमिका में रहता है |

और एक्सचेंज को यह पता नहीं चल पता है कि इन शेयर्स के मालिक आप ही हो या नहीं, या फिर यह शेयर सिर्फ आपके ही है या नहीं |

इसलिए एक्सचेंज सोचता है कि शायद आप Intraday trading में short selling कर रहे हो | इसलिए वो आपसे 20 % मार्जिन की डिमांड करता है |

लेकिन आपको इससे ज्यादा परेशान होने कि जरुरत नहीं है | कई सारे ब्रोकर्स ने इसका कुछ solution निकाल लिया है |

जैसे कि Zerodha जैसे ब्रोकर ने इसे इम्प्लीमेंट भी कर दिया है | और इस सिस्टम को early pay in सिस्टम कहते है |

जिसके अनुसार जब आप अपने शेयर(होल्डिंग) को बेंचते हो तो ब्रोकर T +2 सेटलमेंट टाइम का इंतज़ार नहीं करता है|

वो एक्सचेंज को बता देता है कि आप short selliing OR Intraday नहीं कर रहे हो |

जबकि यह आपकी होल्डिंग है और इसे आप बिना किसी मार्जिन के बेंच सकते हो | तो दोस्तों यही कुछ rules(SEBI new margin rules in Hindi) थे जो SEBI द्वारा चेंज कर दिए गए है |

आप share market से जुड़े हुए कुछ और अच्छे blog नीचे दी हुई ब्लॉग लिंक का उपयोग करके पढ़ सकते है:

SEBI NEW MARGIN RULES IN HINDI 2021…
Difference between Intraday trading and delivery trading…
Delivery Trading vs Intraday Trading In Hindi…
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Difference between the mutual fund and share market In Hindi…
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What Are NIFTY And SENSEX In Hindi…
Value+ Order Type In Motilal Oswal In Hindi…
What is sensex in hindi…
What Is NSE In Hindi…
What is BSE In Hindi…
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Conclusion :

तो दोस्तों इस ब्लॉग पोस्ट(SEBI new margin rules in Hindi) में हमने आपको विस्तार में बताया है कि SEBI ने कौन कौन से नए नियम अपडेट किये है| भले ही यह नियम कुछ ट्रेडर्स और ब्रोकर्स को शुरुआत में थोड़ी अजीब लगे पर यह सब हमारे पैसे और शेयर्स की सुरक्षा को ध्यान में रखकर किया गया है | और आप को इससे फायदा ही होगा और आप बड़े safty के साथ शेयर मार्किट में ट्रेडिंग जारी रख पाएंगे|

इस ब्लॉग(SEBI new margin rules in Hindi) को लेकर आपके मन में कोई भी प्रश्न है तो आप हमें इस पते a5theorys@gmail.comपर ईमेल लिख सकते है|

आशा करता हूँ, कि आपने इस पोस्ट SEBI new margin rules in Hindi को खूब एन्जॉय किया होगा|

आप स्वतंत्रता पूर्वक अपना बहुमूल्य फीडबैक और कमेंट यहाँ पर दे सकते है|

आपका समय शुभ हो|

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