What is a POA in the share market in Hindi?|PoA क्या होता है?
हेलो फ्रेंड्स, आज के इस ब्लॉग पोस्ट(What is a POA in the share market in hindi) में मैं आपको share Market के सन्दर्भ में POA बताने वाला हूँ | जब भी अब किसी ब्रोकर कंपनी जैसे कि मोतीलाल ओसवाल में अपना अकाउंट खोलते है तो वहां पर आपसे एक डॉक्यूमेंट sign करवाया जाता है जिसे POA बोलते है और इसका पूरा नाम होता है Power of attorney |
अकाउंट चाहे आप ऑनलाइन खोले या ऑफलाइन खोले broker आपसे POA sign करने के लिए जरूर बोलता है | और POA को एक बहुत जरुरी दस्ताबेज बताता है |What is a POA in the share market in hindi|
What is a POA in the share market in Hindi:
पावर ऑफ़ अटॉर्नी(Power of attorney) एक ऐसा दस्ताबेज होता है जहाँ पर आप अपनी किसी प्रॉपर्टीज अथवा सिक्योरिटीज पर दूसरों को पूरे या कुछ अधिकार दे देते हो |
और यह अधिकार उसके पास तब तक रहता है जब तक उसके पास POA (पावर ऑफ़ अटॉर्नी रहती है )|
अब Demat अकाउंट के केस में पावर ऑफ़ अटॉर्नी sign करने के बाद आप अपने ट्रेडिंग और Demat अकाउंट के kuch राइट्स अपने ब्रोकर को दे देते हो |
चलिए POA को कुछ और अच्छी तरह से समझते है |What is a POA in the share market in hindi|
What is Power of Attorney?| Power of attorney क्या होती है?|What is a POA in the share market in Hindi?
पावर ऑफ़ अटॉर्नी एक ऐसा लीगल दस्ताबेज होता है जहाँ पर आप अपने ट्रेडिंग अकाउंट के कुछ राइट्स जो कि इस POA में लिखे होते है अपने broker को ट्रांसफर कर देते है |
कहने का मतलब की जो जो चीज़े आपने POA में लिखी है वो सभी आपका broker आपके behalf पर आपके अकाउंट में execute कर सकता है |What is a POA in the share market in Hindi|
पर डिलीवरी ट्रेडिंग में यह POA एक नार्मल प्रोसेस है और लगभग सभी इन्वेस्टर एक लिमिटेड POA sign करते है और अपने ब्रोकर को दे देते है |
इससे होता यह है की ब्रोकर इन्वेस्टर से फ़ोन पर बात कर के कोई भी ट्रेड एक्सेक्यूटे कर सकता है |
और वह मार्जिन की जरुरत पड़ने पर कोई भी स्टॉक की पोजीशन को square off कर सकता है |
अभी कुछ समय पहले तक अगर आप ने POA अपने broker को नहीं दिया है तो फिर आप ऑनलाइन ट्रेडिंग नहीं कर सकते थे या फिर बहुत ही लिमिटेड पावर के साथ केवल buy order execute कर सकते थे |
पर अपनी DP से online शेयर sell करने के अधिकार आपके पास नहीं होते थे |
पर अभी कुछ समय पहले ही SEBI द्वारा यह रूल आया है कि अब offline हो या फिर online POA सबमिट करना जरुरी नहीं है |
यह नियम सेबी ने karvy ब्रोकर फ्रॉड होने के बाद से लागू किया था | और सेबी ने कुछ नए margin के नियम भी लागू किये है |
तो अब आप बिना POA के अपने Demat अकाउंट, ट्रेडिंग अकाउंट से लगभग सभी तरह के ऑपरेशन परफॉर्म कर सकते है |
बस जहाँ पर आपको कुछ margin ब्रोकर दे देता था या फिर आप अर्ली पायीं सिस्टम(अर्ली पायीं system) का use कर पाते थे अब वो आप बिना POA के नहीं कर पाते है |
पर यह कोई बड़ी समस्या की बात नहीं है |
POA कितने प्रकार की होती है ? | What are the types of power of attorney?
पावर ऑफ़ अटॉर्नी के दो प्रकार होते है |
जनरल पावर ऑफ़ अटॉर्नी(General)
स्पेसिफिक पावर ऑफ़ अटॉर्नी(specific or limited)
स्पेसिफिक पावर ऑफ़ अटॉर्नी और लिमिटेड पावर ऑफ़ अटॉर्नी(specific or limited power of attorney):
यह स्पेसिफिक पावर ऑफ़ अटॉर्नी कुछ लिमिटेड पावर्स को रखती है जो कि ब्रोकर को दी जाती है |
और इसकी मदद से ब्रोकर कुछ स्पेसिफिक purpose ही क्लाइंट के अकाउंट में परफॉर्म कर सकता है|
जैसे की सिक्योरिटी को पूल अकाउंट से एक्सचेंज में ट्रांसफर करना और फिर बाद में sell order के टाइम सिक्योरिटी को Demat अकाउंट से फिर एक्सचेंज में ट्रांसफर करना |
और यह स्पेसिफिक पावर ऑफ़ अटॉर्नी कुछ लिमिटेड समय के लिए ही होती है |
अपने broker को पावर ऑफ़ अटॉर्नी देते समय ध्यान रखे की आपका ब्रोकर SEBI में रजिस्टर होना चाहिए |
और पावर ऑफ़ अटॉर्नी कभी भी किसी इंडिविजुअल पर्सन, एम्प्लाइज, डीलर के नाम पर नहीं देना है | यह केवल आपके स्टॉक ब्रोकर के नाम पर इशू होगी |
यह एक तरह की लिमिटेड POA होती है जो कि आप अपने ब्रोकर को देते हो और इसकी मदद से broker आपके अकाउंट में कुछ स्पेसिफिक ट्रांसक्शन अथवा ऑपरेशन परफॉर्म करता है|
जैसे की सिक्योरिटीज को स्टॉक एक्सचेंज में ट्रांसफर करना | जब भी आप कोई share sell करते हो या फिर margin plege करते हो |
जनरल पावर ऑफ़ अटॉर्नी(General power of attorney):
General POA किसी भी पर्सन को सभी प्रकार के जेनेरिक एक्टिविटीज परफॉर्म करने के लिए authorize करता है |
अगर आप सिक्योरिटीज मार्किट में डील करते हो तो फिर आपको यह जनरल POA नहीं देना चाहिए क्योकि यह जनरल POA होल्डर्स के पास एक बड़ी रेंज की पावर रहती है जो कि आपके सिक्योरिटीज को एफेक्ट कर सकती है |
What is the difference between a trading account and a Demat account? Demat account और trading account में क्या डिफरेंस है ?
ट्रेडिंग अकाउंट एक तरह का इंटरफ़ेस है जहाँ पर ट्रेड्स के लिए buy और sell आर्डर एक्सेक्यूटे करते है |
और आपका Demat अक्कोउट एक तरह का स्टोर या डेटाबेस है जहाँ पर आपके buy किये हुए shares को रखा जाता है |
और जब भी आप शेयर को sell करते है तो फिर यह आपके Demat अकाउंट से डेबिट हो जाता है |
पर एक्चुअल में यह Demat account में भी नहीं रहता है, आपके shares एक्चुअल में depositories में होल्ड होते है | depositories दो तरह की होती है |
NSDL और CDSL depositories क्या होती है और यह कैसे काम करती है ?
NSDL और CDSL depositories क्या होती है? NSDL और CDSL में क्या अंतर है
Why POA Is required ? हमें POA sign करने की जरुरत क्यों पड़ती है ?
जब भी आप कोई शेयर buy करते है चाहे वो ऑफलाइन हो या फिर ऑनलाइन वो शेयर आपके Demat account में जाके होल्ड हो जाता है |
यहाँ पर आपको कोई POA की जरुरत नहीं पड़ती है |
पर जब बह ऐसी कोई सिचुएशन आती है जब आपके शेयर्स को Demat account के बहार निकलना पड़ता है|
जैसे की या तो आप शेयर को sell कर रहे होते है या फिर शेयर को plege कर रहे होते है |
ऐसी स्थिति में आपको POA की जरुरत पड़ती है अगर आप यह सब ैक्शन online परफॉर्म करना चाह रहे है |
तो कहने का मतलन POA हमें sell आर्डर को execute करने के लिए अथवा margin pledged की स्थिति में squre ऑफ करने के लिए जरुरी होती है |
एक्चुअल में क्या होता है जब भी आपको अपने share sell करने होते है तो आपको एक Dis (delivery instruction slip) sign करके देनी होती है या फिर आपके account में POA होना चाहिए | तभी आप online शेयर को sell कर पाएंगे |
पर यह तो हो गयी पुरानी बात, अब बहुत सरे बोर्केर्स ने E -Dis की फैसिलिटी दे दी है |
जिसमे आप एक T -Pin को generate करके फिर उसे enter करके एक OTP को reenter करके अपने शेयर को अपने Demat अकाउंट से sell करने के लिए transfer कर सकते हो |
SEBI के नए POA नियम के बाद लगभग सभी सभी ब्रोकर्स ने यह इ-डिस की फैसिलिटी प्रोवाइड करना चालू कर दिया है |
तो अब आप बिना POA के भी ऑनलाइन अपने शेयर्स को आसानी से sell कर पाएंगे|
What is the need for a Demat account? Demat account में POA की जरुरत क्यों पड़ती है ?
दरअसल अगर आप POA sign नहीं करते है तो फिर आपको ऑफ लाइन शेयर बेचने के लिए डिस को ब्रोकर ऑफिस में भिजवाना पड़ेगा|
और फिर जब वो ब्रोकर को मिलेगी तब वह आपके shares को Demat account से ट्रांसफर करेगा |
पर इस सिस्टम में बहुत सारी दिक्कत का सामना करना पड़ता था जैसे कि:
Expensive and time-consuming:
delivery instruction slip को फिजिकली ब्रोकर ऑफिस तक पहुँचाना बहुत expensive होता था और फिर इस प्रोसेस में समय भी काफी लग जाता था |
Auction का Risk :
अगर स्लिप स्पेसिफिक टाइम पर नहीं पहुँचती थी तो फिर वहां पर share auction में चला जाता था और हमें auction penality लग जाती थी |
पर अब ऑनलाइन सिस्टम आ जाने से यह सब दिक्कत खत्म हो गयी है |
अगर आपके Demat में POA है तो आपके शेयर sell करते ही जैसे ही आर्डर exexute होता है वैसे ही ब्रोकर शेयर को Demat account से transfer कर देता है और exchange को दे देता है |
हलाकि POA का use जब भी होता है जब आप किसी शेयर को plege करते हो | तब भी आपके share आपके Demat account से बहार ला कर broker पूल अकाउंट में शिफ्ट कर दिए जाते है |
पर अब सेबी ने इस नियम में भी बदलाव कर दिया है अब शेयर physically आपके Demat account में ही रहेंगे |
POA के सन्दर्भ में कुछ important points नीचे दिए गए है :
Demat POA जो है वो sign करना जरुरी नहीं है |
POA का कोई भी चार्ज नहीं लिया जाता है |
जरुरी नहीं कि POA स्टाम्प पेपर पर हो |
कोई भी आर्डर को sell करने के लिए POA की जरुरत हो सकती है पर buy करने के लिए POA की जरुरत नहीं है |
पर अब SEBI के नए नियम के अंतर्गत आप बिना POA के भी अपने शेयर को online sell कर सकते है |
क्योकि अब लगभग सभी ब्रोकर E -Dis की फैसिलिटी देते है और आप T -Pin की मदद से अपने share verify करके उन्हें Demat से ट्रांसफर कर sell कर सकते है |
F &O trading Demat के लिए POA जरुरी नहीं है |
broker और depositories आपके Demat अकाउंट में हुए कोई भी transaction के लिए रियल टाइम अलर्ट आपको send करेंगे |
जब तक आप अपना Demat account revoke अथवा close नहीं करते है तब तक आपकी POA valid रहती है |
जब आपके अकाउंट में मार्जिन की शॉर्टफॉल होती है तो फिर आपका ब्रोकर आपको बिना बताये ही आपके अन्य Demat holding को sell करके मनी को रिकवर कर सकता है वो भी आपको advance में बिना बताये|
यह POA एग्रीमेंट का एक हिस्सा ही है | या फिर वो आपके अकाउंट में और Demat holding से मार्जिन प्लेज्ड करके margin shortfall को कवर कर सकता है |
पर अभी SEBI के नए नियम के अनुसार अब बिना client की परमिशन के कोई भी ब्रोकर किसी भी शेयर के लिए मार्जिन pledged नहीं कर सकता है |
इसे यह करने के लिए क्लाइंट को एक verification लिंक सेंड करनी पड़ेगी और यदि क्लाइंट उसे वेरीफाई कर देता है तब वह margin को pledged कर सकता है |
FAQ on POA (पावर ऑफ़ attorney): POA FAQ
क्या POA करना compulsory है ?
नहीं, यह जरुरी नहीं है , पर Demat अकाउंट के स्मूथ ऑपरेशन के लिए आप इसे कर सकते है |
याद रखिये POA की जरुरत सिर्फ Demat अकॉउंट से रिलेटेड trading या transaction करने के लिए करते है यानि कि delivery trading में इसका importance है |
क्या POA mandatory है ?
POA सिर्फ ऑनलाइन शेयर को sell करने के लिए जरुरी थी वो भी अगर आपने delivery segment के अंतर्गत शेयर लिए हो |
पर अब बिना POA के भी ऑनलाइन शेयर को sell करने कि facility आ गयी है |
E -Dis की मदद से हम T -Pin verify करके अब online शेयर को sell कर सकते है |
POA का purpose क्या है ?
अगर आप intraday , future &option में ट्रेड कर रहे है तो फिर आपको POA की कोई भी जरुरत नहीं है |
और अब तो POA sign करना करना बिलकुल भी जरुरी नहीं है |
हाँ पर अपने Demat अकाउंट को थोड़ा स्मूथ बनाने के लिए आप इसे कर सकते है |
क्योकि शेयर को sell करते समय अगर रएक्वीरेद मार्जिन की जरुरत होती है तो फिर POA होने पर ब्रोकर आपको यह margin प्रोवाइड करवा देते है |
पर हाँ जब E -Dis कि facility नहीं थी तो फिर अगर आपने POA sign नहीं किया है तो फिर online डिलीवरी ट्रेडिंग में शेयर को खरीदने के बाद शेयर आपके Demat अकाउंट में शो नहीं होते थे और आप उन्हें sell भी नहीं कर पाते थे |
पर अब ऐसा कुछ भी नहीं है | अब तो सिर्फ एक required मार्जिन की प्रॉब्लम आ सकती है sell करते समय |
अगर POA है तो सिर्फ 20 % लगता है वो भी ब्रोकर मैनेज कर देता है उसी दिन share को दमत से ट्रांसफर करके |
और अगर POA नहीं है तो फिर आप को लगभग 100 % मार्जिन रखना पड़ता है sell प्राइस का |
पर यदि आपके अकाउंट में cash margin उपलब्ध है तो फिर आपको required margin कम देना होता है |
आप share market से जुड़े हुए कुछ और अच्छे blog नीचे दी हुई ब्लॉग लिंक का उपयोग करके पढ़ सकते है:
SEBI NEW MARGIN RULES IN HINDI 2021…
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Difference between Equity and Derivatives in Hindi…
Forex Trading In India In Hindi…
Difference Between Futures And Options In Hindi…
Conclusion :
तो दोस्तों इस ब्लॉग पोस्ट(What is a POA in the share market in Hindi) में हमने POA के बारे में विस्तार से पढ़ा और समझा | POA एक तरह का legal document है जिसमे अगर हम अपने कुछ राइट्स लिख कर sign करके अगर किसी और को दे देते है तो फिर वह person हमारे behalf पर उन राइट्स को execute करने के लिए स्वतंत्र होता है | SEBI ने अपनी गाइडलाइन में कहा है कि आपको हमेशा specific POA sign कर के देना चाहिए क्योकि इसे आप आसानी से revoke कर सकते है और इसमें अपने राइट्स को मॉडिफाई कर सकते है या कम और ज्यादा कर सकते है| POA की main जरुरत शेयर को sell करने के लिए delivery trading के esgment में होती है | पर अब सेबी की नयी गाइड लाइन के अनुसार POA देना compulsory नहीं है चाहे आप online trading कर रहे हो या फिर ऑनलाइन| आप दोनों ही cases में बिना POA के भी अपने शेयर sell कर सकते है |
इस ब्लॉग(What is a POA in the share market in Hindi) को लेकर आपके मन में कोई भी प्रश्न है तो आप हमें इस पते support@a5theory.comपर ईमेल लिख सकते है|
आशा करता हूँ, कि आपने इस पोस्ट What is a POA in the share market in Hindi को खूब एन्जॉय किया होगा|
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आपका समय शुभ हो|