Composite Key In DBMS IN Hindi?

हेलो दोस्तों आज के इस ब्लॉग पोस्ट(Composite Key In DBMS IN Hindi) में मैं आपको composite key के बारे में हिंदी में विस्तार से बताने वाला हूँ |

जैसे कि हम जानते है कि डेटाबेस में बहुत सारी keys होती है जैसे कि Primary key , foreign key , Candidate key , इसी तरह एक key और होती है और वो है composite key(Composite Key In DBMS IN Hindi) |

जब एक से अधिक key को मिलाकर एक key बनायीं जाती है जो कि पूरे रिकॉर्ड को identify कर सकती है , तब ऐसे key को हम composite key(Composite Key In DBMS IN Hindi) बोलते है |

अगर अभी यह आपको अच्छी तरह से समझ में नहीं आया है तो फिर चलिए नीचे एक example की मदद से समझते है |Composite Key In DBMS IN Hindi|

मान लेते है हमारे पास एक स्टूडेंट रिलेशन है जिसमे कई सारे attributes है जैसे कि student id , student name , स्टूडेंट क्लास, स्टूडेंट एड्रेस, स्टूडेंट मोबाइल नंबर, इत्यादि|

अब अगर हम यहाँ पर एक composite key बनाना चाहे तो फिर यहाँ पर हम student id के साथ student name को भी include कर लेंगे |

और ये दोनों column मिल कर एक कम्पोजिट key form करेंगे और यह key की मदद से हम पूरा रिकॉर्ड निकाल सकते है |

तो composite key में एक से ज्यादा attributes होते है जो कि आसानी से पूरे रिकार्ड्स को fetch कर सकते है |

पर यह जरुरी नहीं है कि composite key के attribute भी पूरे रिकार्ड्स को uniquely fetch करने में सक्षम हो |

वो कर भी सकते है और नहीं भी | कहने का मतलब composite key के attributes भी एक key हो सकते है और नहीं भी |

Primary key एक Candidate key होती है जो कि किसी भी रिकॉर्ड को आसानी से fetch कर सकती है और यह एक single कॉलम होती है |

प्राइमरी key की वैल्यू कभी null नहीं होती है | और प्राइमरी key की वैल्यू को हम अपडेट अथवा modify नहीं कर सकते है |

एक relation अथवा table में केवल एक प्राइमरी के हो सकती है |

हो सकते है ऐसे बहुत से कॉलम हो जिन्हे आप प्राइमरी key बना सकते हो पर आपको एक कॉलम को ही choose करना पड़ेगा प्राइमरी key बनाने के लिए |

अब प्रश्न यह होता है कि हमें composite key की जरुरत कब होती है ?

देखिये जब आपकी टेबल में ऐसा कोई भी कॉलम न हो जिसे हम प्राइमरी key declare कर सके अथवा जो रिकार्ड्स को uniquely identify कर सके|

तब ऐसे स्थिति में हमें दो या उससे अधिक कॉलम को ज्वाइन करके एक key बनानी पड़ती है|

जो की हमारे रिकार्ड्स को uniquely identify कर सके| और इसे ही हम कम्पोजिट key कहते है |

Super key और कम्पोजिट key में क्या डिफरेंस होता है ?

देखिये सुपर key जो होती है वो एक या एक से अधिक ऐट्रिब्यूट्स का कॉम्बिनेशन होती है जो कि रिकार्ड्स को uniquely identify कर सके|

और कम्पोजिट key दो या दो से अधिक attributes का कॉम्बिनेशन होती है जो कि records को uniquely identify कर सके |

पर यहाँ पर आप थोड़ा कंफ्यूज हो रहे होंगे | क्योकि दोनों ही keys की डेफिनिशन लगभग similar ही है | पर दोस्तों actual में ऐसा नहीं है |

Super key में जो के combination होगा उनमे से एक Candidate key ऐसे जरूर होगी जो या तो प्राइमरी key होगी या फिर unique key होगी |

पर कम्पोजिट key में कोई भी सिंगल attributes एक Candidate key नहीं होगा |

मतलब वह अकेले पूरे रिकार्ड्स को फेच करने में capable नहीं होगा |

तो एक कैंडिडेट key जो होती है उसे हम मिनिमल Super key बोल सकते है पर composite key में कोई भी Candidate keys नहीं होती है |

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Conclusion:

तो दोस्तों इस ब्लॉग पोस्ट(Composite Key In DBMS IN Hindi) में हमने composite key के बारे में जाना और यह भी देखा कि composite Primary key और Super key से कैसे अलग होती है | दोस्तों जब भी हम किसी टेबल में कोई भी ऐसा कॉलम find नहीं कर पातें जिससे कि हम पूरे tuple वैल्यू को identify कर सकते है तब ऐसी स्थिति में उस टेबल में दो कॉलम के combination देखते है जिससे हम uniquely रिकार्ड्स को identify कर सके| और ऐसे combination key को हम composite key नाम से जानते है | composite key में दो से ज्यादा कॉलम भी हो सकते है |

इस ब्लॉग(Composite Key In DBMS IN Hindi) को लेकर आपके मन में कोई भी प्रश्न है तो आप हमें इस पते support@a5theory.comपर ईमेल लिख सकते है|

आशा करता हूँ, कि आपने इस पोस्ट(Composite Key In DBMS IN Hindi) को खूब एन्जॉय किया होगा|

आप स्वतंत्रता पूर्वक अपना बहुमूल्य फीडबैक और कमेंट यहाँ पर दे सकते है|

आपका समय शुभ हो|

Anurag

I am a blogger by passion, a software engineer by profession, a singer by consideration and rest of things that I do is for my destination.